उत्तराखंड

मकर संक्रांति और गेंद मेला

सूर्य भगवान के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर राशि सूर्य पुत्र शनि की राशि अथवा शनि का घर है,इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने शनि के घर मकर राशि में जाते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

मकर संक्रांति पर्व के दिन लोग व्यासघाट, देवप्रयाग, हरिद्वार स्नान करने जाते हैं,जो लोग तीर्थ में स्नान करने नहीं जा सकते वे लोग घर ही पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं,इस दिन सूर्य पूजा और स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं।

इस पर्व को मनाने का वैज्ञानिक तथ्य भी हैं इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं,जिससे में मौसम परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु का समापन और वसंत ऋतु का आगमन होने लगता है।

गंगासलाण लंगूर, उदयपुर, अजमीर, उदयपुर, ढांगू डबरालस्यू,मनियारस्यूं में मकर संक्रांति अलग तरीके से मनाया जाता है, डाडामंडी, थलनदी,कटघर, देवीखेत, सांगुड़ा के अलावा पुल्यासू, कलसी आदि कई जगह गेंद मेले का आयोजन होता है।

गेंद का खेल दो पट्टियों के बीच खेला जाता है, उदयपुर ढांगू, उदयपुर अजमीर, मनियारस्यूं लंगूर। थलनदी, डाडामंडी,कटघर और सांगुड़ा पुराने गेंद मेलों में से हैं।

गिंदी कौथिग में गेंद का खेल एक अनोखा खेल है, इसमें दोनों टीमों में खिलाड़ियों की कोई निर्धारित संख्या नहीं है। खेल शुरू होने से पहले गेंद को दोनों टीमों के बीच में रखा जाता है उसके बाद छीना झपटी और गुत्थम गुत्था शुरू हो जाती है। दोनों टीमों के खिलाड़ी गेंद पर मधुमक्खियों की तरह चिपक जाते हैं,कई लोग चोटिल और कई बेहोश हो जाते हैं,इस खेल में जान भी जा सकती है।

को लोग चोटिल या बेहोश हो जाते हैं उन्हें बाहर निकल दिया जाता है,होश में आने पर वे दुबारा खेलने लगते हैं। जो टीम गेंद को अपनी सीमा में ले जाती है वह विजेता घोषित की जाती है,यह शक्ति परीक्षण का खेल है।

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