उत्तराखंड में मौजूद हैं भगवान राम से जुड़े अनेक प्रतीक चिन्ह
पौड़ी। सनातन धर्म के आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। यह क्षण सभी रामभक्तों के लिए महत्त्वपूर्ण एवं गौरव के क्षण हैं।
जबसे मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ रामभक्तों में उत्साह का वातावरण बनने लग गया था, और जबसे मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ एवं प्राण प्रतिष्ठा को तिथि निश्चित हुई तब से तो पूरा देश रामभक्ति में सरोबार हो गया। जहां भी नजर जाती है भगवा रंग ही नजर आता है।
उत्तराखंड से भी भगवान श्रीराम का गहरा संबंध रहा है, देवप्रयाग रघुनाथ मंदिर भगवान विष्णु के 108 मंदिरों में से एक है, रावन वध के बाद श्रीरामचंद्र जी ने तप किया था, संगम के निकट शिलाखण्डों पर भगवान के चरण चिन्ह आज भी मौजूद हैं।
मान्यता है कि दूधातोली की पहाड़ियों से निकलने वाली रामगंगा भगवान राम के बाण से उत्पन्न हुई है। कहा जाता है कि वनवास के समय सीता जी को प्यास लगी थी जब कहीं पीने का पानी नहीं मिला तो रामचंद्र जी ने वाण मारा, भगवान राम के बाण से निकलने वाली रामगंगा नदी को रामनाली के नाम से भी जाना जाता है। रामगंगा 500 किमी का सफर तय करके कन्नौज में गंगाजी में मिल जाती है।
पौड़ी के दूधातोली क्षेत्र के जंगलों में भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता के पति श्रृंगी ऋषि का मंदिर है,श्रृंगी ऋषि ने यहां कई वर्षों तक तप किया था। घुलेख गांव एवं तिरपाली सैण सहित पूरे राठ क्षेत्र में श्रृंगी ऋषि की पूजा की जाती है।
तीर्थ नगरी ऋषिकेश में प्राचीन श्रीरामेश्वर मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, भरत मंदिर एवं शत्रुघ्न मंदिर हैं। लक्ष्मण झूला विश्व प्रसिद्ध है, शिवानंद झूला लक्ष्मण झूला से लंबाई में बड़ा होने के कारण लोगों ने इस झूलापुल को राम झूला के नाम से पुकारा,इसी क्षेत्र में एक पुल और बना जिसे जानकी सेतु नाम दिया गया।
लगभग 100 साल पहले बने लक्ष्मण झूला को 2020 में आवागमन के लिए बंद कर दिया गया,अब लक्ष्मण झूला के बगल में बजरंग सेतु के नाम से नया पुल बन रहा है पुराना झूला पुल धरोहर के रूप में ज्यों का त्यों रहेगा।
लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने के कारण दो साल पहले रामझूला पर भी दोपहिया वाहन बंद कर दिए गए है,जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।