अनुरागी बंधुओं ने कार्यक्रम में समां बांध दिया
गढ़भूमि लोक संस्कृति संरक्षण समिति मुनि की रेती ढालवाला ऋषिकेश के दो दिवसीय कार्यक्रम का दूसरा दिन लोक कलाकारों के नाम रहा।
पौड़ी गढ़वाल द्वारीखाल ब्लॉक के कोटलमंडा (गुमखाल) निवासी अनुरागी ब्रदर्स,निर्मल अनुरागी,राकेश अनुरागी एवं अंजली अनुरागी के मार्मिक लोकगीत सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गए।
विदित हो कि अनुरागी बंधु तीनों भाई बहिन नेत्रहीन हैं लेकिन संगीत के प्रति उनके समर्पण ने इस बाधा को अवसर में बदल दिया। हास्य कलाकार किशना बगोट के प्रयासों से अनुरागी बंधुओं को लोग जानने पहचानने लगे हैं और अब उन्हें कार्यक्रम भी मिल रहे हैं।
गोपेश्वर जनपद चमोली से आए बाल कवि कार्तिक तिवाड़ी की कविता “म्यारा दगड़ियों अब पैला जन कुछ नि रैगे म्यारा पहाड़ मा” उत्तराखंड की व्यथा बयां की,आकाशवाणी देहरादून से गढ़वाली भाषा में समाचार वाचक शांति अमोली बिंजोला ने लड़ाई में जाते फौजी और फौजी की पत्नी का बर्तालाप गीत के माध्यम से सुनाया।
समिति ने लोक कलाकार सुधीर ग्वाडी आदि कलाकार और अतिथियों का माल्यार्पण ,सॉल उढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
दर्शकों की भीड़ प्रसिद्ध हास्य कलाकार किशना बगोट के हास्य व्यंग सुनने के लिए बड़ी देर तक बैठी रही लेकिन किशना बगोट को पांच मिनट से भी कम समय मिला।दर्शक हास्य व्यंग का आनंद नहीं उठा पाए,और किशना बगोट के मंच से उतरते ही दर्शक भी मायूस होकर चले गए।
कार्यक्रम में मंच संचालन आवाज साहित्यिक संस्था के डॉo सुनील दत्त थपलियाल ने किया।
कार्यक्रम में आशाराम व्यास,धनीराम बिंजोला,महिपाल बिष्ट,सुरेंद्र भंडारी, के डी व्यास, सुशीला सेमवाल,निर्मला शर्मा, शशि कंडारी,मीना मदवान,सावित्री बड़थ्वाल,सचिन पैन्यूली,मनोज मलासी,गजेंद्र कंडियाल आदि उपस्थित रहे।