भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
‘मेक इन इंडिया’ और सरकारी नीतियों से वैश्विक बाजार में बढ़ी भारत की पकड़
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी दी है कि भारत ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में अब तक का सबसे ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है। उन्होंने बताया कि बीते दस वर्षों में रक्षा निर्यात में 34 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में रक्षा मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया, जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा मात्र 686 करोड़ रुपये था। उनके कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस सफलता के पीछे भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की स्पष्ट रणनीति है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत सरकार ने कई योजनाओं को लागू किया है, जिनमें उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाएं भी शामिल हैं। इनका उद्देश्य भारतीय रक्षा उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना, निर्यात को प्रोत्साहित करना और आयात पर निर्भरता को कम करना है।
सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के प्रभाव से रक्षा उत्पादन ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है। इस बढ़ोतरी का सीधा लाभ रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और निवेशकों को मिला है, जिससे इन कंपनियों में बाहरी निवेश भी बढ़ा है। साथ ही, सरकार रक्षा और एयरोस्पेस निर्माण में लगातार निवेश कर रही है, जिसके चलते कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत के साथ तकनीकी साझेदारी में रुचि दिखाई है।
80 देशों तक पहुंचा भारतीय रक्षा उत्पादों का प्रभाव
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत ने करीब 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, प्रणालियां और उनके कलपुर्जे निर्यात किए हैं।
2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य
सरकार ने आगामी वर्षों में रक्षा निर्यात को और विस्तार देने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2029 तक भारत 50,000 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उत्पादों के वार्षिक निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की उपस्थिति और मजबूत होगी।
पड़ोसी संघर्षों ने दिखाई आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्षों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना कितना जरूरी है।