Friday, April 11, 2025
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अंतर्राष्ट्रीयऋषिकेश

पद्मश्री कैलाश खेर अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सम्मिलित हुए, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी का आशीर्वाद लिया

“अगर हम शांति के प्रकाशपस्तंभ बनना चाहते हैं, तो हमें पहले अपने भीतर प्रेम की नदियों को प्रवाहित करना होगा और द्वेष की सभी ज्वालाओं को अपनी करुणा और शांति के जल से शान्त करना होगा”

*स्वामी चिदानंद सरस्वती*

🌺*पूज्य संतों ने योग की विधाओं के साथ भारत की दिव्य संस्कृति व वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्र को साथ लेकर जाने का दिया संदेेश*

*💥अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन विश्व के 75 से अधिक देशों के 1500 से अधिक योग जिज्ञासुओं, योगाचार्यों व प्रतिभागियों का संगम*

*🌺सांयकाल अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन समारोह में उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह जी, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, अध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, साध्वी भगवती सरस्वती जी, अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक, उत्तराखंड के माननीय कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत, पद्मश्री कैलाश खेर, माता श्री मंगला जी, संस्थापक हंस फाउंडेशन, भोले जी महाराज, पं. पंडरिक गोस्वामी जी, प्रेमबाबा, प्रसिद्ध कथाकार, शिवमणी, प्रसिद्ध ड्रम व तबला वादक, रूना रिजवी, सूफी गायिका और विभिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति*

ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन परमार्थ निकेतन में योग जिज्ञासुओं ने योग के माध्यम से आध्यात्मिकता और शांति के अनूठे अनुभवों का आनंद लिया। आज योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिक विचारों का अद्भुत संगम हुआ। विशेषज्ञों ने योग की प्राचीन परंपराओं पर मंथन करने के साथ ही जीवन में शांति, प्रेम और संतुलन की आवश्यकता पर भी उद्बोधन दिया।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन की शुरुआत सूर्योदय के समय मंत्रोच्चारण के साथ हुई। विश्व शान्ति यज्ञ के पश्चात विशेष योग व ध्यान सत्र में आत्मा व हृदय में योग, आधुनिक जीवन में तनाव को दूर करने के लिए आयुर्वेद, आहार-शक्ति और स्वास्थ्य के लिए योग, साउंड बाथ के पश्चात आध्यात्मिक सत्र श्रृंखला – प्रेम योग का विशेष आयोजन किया गया।

प्रेम योग सत्र में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, श्री प्रेम बाबा और साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा प्रेम और आध्यात्मिकता पर आधारित विशेष जिज्ञासा समाधान सत्र का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य प्रेम, करुणा और शांति के महत्व को समझना और जीवन में इसे कैसे आत्मसात करना है इस पर विशेष चर्चा हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सभी के भीतर एक अद्वितीय शक्ति और प्रेम का स्रोत है, जिसे केवल जागरूकता और साधना के माध्यम से पहचाना जा सकता है। अगर हम शांति के वास्तविक संवाहक बनना चाहते हैं, तो हमें पहले अपने भीतर के अशांति और नकारात्मकता को समाप्त करना होगा। जैसे जल में मलिनता का नाश करने के लिए हम उसे स्वच्छ करते हैं, वैसे ही हमें अपनी मानसिकता और आत्मा को शुद्ध करना होगा। यही सच्चा योग है।

स्वामी जी ने कहा कि यदि हम दुनिया में शांति लाना चाहते हैं, तो हमें सबसे पहले अपने भीतर के भेदभाव व द्वंद्व को समाप्त करना होगा। प्रेम की नदियाँ, जो हमारे भीतर बहती हैं, वह शांति और सद्भावना का प्रतीक हैं। जब हम इन प्रेम की नदियों से अपने मन और आत्मा को शुद्ध करेंगे, तभी हम इस संसार का भी शांति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकेंगे।

स्वामी जी ने कहा कि हमारी आत्मा अनंत शांति और प्रेम का स्रोत है। जब हम अपने भीतर के इस दिव्य स्रोत से जुड़ते हैं, तभी हम बाहरी संसार में भी सच्चे शांति और सौहार्द का अनुभव कर सकते हैं। संसार में बहुत सी समस्याएं और संघर्ष हैं, लेकिन अगर हम स्वयं के भीतर शांति और संतुलन बनाए रखें, तो हम उन समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनका समाधान ढूंढ सकते हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग, ध्यान और साधना के द्वारा हम अपनी आत्मा के गहरे हिस्से से जुड़ सकते हैं। यही वह शक्ति है, जो हमें शांति और प्रेम की अनुभूति कराती है। जब हम अपने भीतर इस दिव्य शक्ति को जागृत करते हैं, तो हम न केवल अपने जीवन में संतुलन ला सकते हैं, बल्कि हम दुनिया में भी प्रेम और करुणा का संचार कर सकते हैं।

बाहरी दुनिया की समस्याओं से हम केवल तब प्रभावित होते हैं, जब हम अपने भीतर शांति और संतुलन को खो देते हैं। जब हम अपने भीतर के इस शांतिपूर्ण स्रोत से जुड़ते हैं, तो हम अपने जीवन में हर चुनौती को शांति और समझदारी से पार कर सकते हैं।

ब्राजील से आये प्रेम बाबा ने कहा कि प्रेम ही है, जो जीवन को अर्थ देता है, प्रेम ही है, जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है। जब हम अपने दिल की गहराई में प्रेम का अनुभव करते हैं, तब हम न केवल अपने अस्तित्व को समझते हैं, बल्कि सम्पूर्ण संसार को भी एक नई दृष्टि से देखते हैं। प्रेम, हमें निर्भय बनाता है, क्योंकि यह न केवल हमें दूसरों से जोड़ता है, बल्कि हमें अपने भीतर की शक्ति और दिव्यता का एहसास भी कराता है।

जब हम खुद को प्रेम की ऊर्जा से भरते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को बिना किसी शर्त के स्वीकार करते हैं। यह प्रेम न केवल बाहरी रिश्तों में बल्कि हमारे अपने आत्मिक अस्तित्व में भी गहरा प्रभाव डालता है। प्रेम में ही जीवन का सार है, क्योंकि यही वह शक्ति है जो हमें सच्चे मार्ग पर चलने और सभी से साक्षात्कार करने की प्रेरणा देती है।

डा निशि भट्ट ने कहा कि योग और आयुर्वेद का अद्भुत संगम हमें न केवल शारीरिक स्वस्थता प्रदान करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

प्रसिद्ध योगाचार्य योगऋषि विश्वकेतु जी ने कहा कि प्रकृति के साथ योग का सामंजस्य हमें शांति, सौम्यता और जीवन की सच्ची खुशी की ओर ले जाता है।

प्रसिद्ध योगाचार्य और परमार्थ निकेतन, गुरूकुल के विद्यार्थी रहे योगाचार्य श्री मोहन भंडारी जी ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से पूज्य स्वामी जी ने योग की प्राचीन परंपराओं को जीवित रखने का अवसर प्रदान किया है, साथ ही यह वर्तमान जीवन में सामंजस्य और शांति की आवश्यकता को समझने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। जब हम अपने भीतर प्रेम और शांति का प्रवाह करेंगे, तो हम न केवल अपने जीवन में बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकेंगे।

योगाचार्य दासा दास ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में शांति, प्रेम और करुणा का अनुभव कराना है, ताकि सभी एक सकारात्मक और शांतिपूर्ण दुनिया की ओर बढ़ सकें।

आज सायंकाल गंगा जी की आरती के पश्चात प्रसिद्ध आध्यात्मिक गायक पद्मश्री श्री कैलाश खेर की अद्भुत प्रस्तुति होगी। कैलाश खेर जी का संगीत न केवल कानों को, बल्कि दिल और आत्मा को भी स्पर्श करता है। उनके सुरों में समाहित आध्यात्मिक शक्ति और योग का अद्भुत समन्वय जीवन के वास्तविक अर्थ से जोड़ता है। आज वहीं संगीत का आनंद सभी योगाचार्यों और योग जिज्ञासुओं को प्राप्त होगा।

गुरमुख कौर खालसा, कुण्डलिनी योग शिक्षिका, योगाचार्य गुरुशब्द, साध्वी अभा सरस्वती जी, डॉ. जैक बुश, प्रेम बाबा, स्टीवर्ट, प्रसिद्ध योगाचार्य, मोहन भंडारी, डॉ. पद्मनयानी राजू, आयुर्वेदाचार्य, डॉ. एडिसन डी मेलो, मारिया अलेजांद्रा एवचारान, जानवी क्लेयर मिंसिंघम, गायत्री योगाचार्य, डॉ. योगऋषि विश्वकेतु, एस्ट्रिड स्लेगटन, दासा दास, सांद्राबर्न्स, राधिका नागरथ, डॉ. निशि भट्ट, आचार्य आशिष, सुधांशु शर्मा, कृष्णप्रिया, संजय हाल और 75 से अधिक देशों से आये 1500 से अधिक योग जिज्ञासुओं ने दिव्य गंगा आरती का आनंद लिया।

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