Flash Story
सरकार होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही है- महाराज
कैरेबियाई देश डोमिनिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की
मुख्य सचिव ने की स्मार्ट मीटरिंग के कार्यों की समीक्षा 
मुख्यमंत्री धामी ने जौलजीबी मेला-2024 का किया शुभारंभ
टीरा’ ने जियो वर्ल्ड प्लाजा में लॉन्च किया लग्जरी ब्यूटी स्टोर
सुबह उठने पर महसूस होती है थकान? ऊर्जा के लिए खाएं ये 5 खाद्य पदार्थ
फिल्म स्टार मनोज बाजपेई को जमीन खरीदवाने के लिए ताक पर रख दिए गए नियम- कायदे 
बिना सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में नजर आई गहमागहमी
पराजय को सामने देख अब प्रपंच रच रही है कांग्रेस, जनता देख रही है इनकी कुटिलता और झूठे पैंतरे – रेखा आर्या

आतंकी हमला प्रशासन के लिए चिंता का विषय

जम्मू के कठुआ में सोमवार को सेना के गश्ती दल पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया जिसमें पांच जवान शहीद हो गए। एक महीने के भीतर कठुआ में दूसरी बार आतंकी हमला हुआ है जो सरकार, सुरक्षा बल और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। पिछली कुछ आतंकी घटनाओं का ट्रेंड बता रहा है कि दहशतगर्दों ने अपनी रणनीति में बदला किया है। अब जम्मू और विशेषकर कठुआ आतंक का नया गढ़ बनता दिख रहा है। हालांकि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के शुरुआती दिनों में यह इलाका आतंकवादियों का अच्छा खासा ठिकाना बन गया था।

लेकिन सुरक्षा बलों ने विशेष अभियान चलाकर कठुआ और उसके आसपास के इलाके को आतंक से मुक्त करा लिया था। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन बहाल हो रहा था लेकिन जब से विधानसभा चुनाव की आहट तेज हुई है, अचानक आतंकवादी सक्रिय हो गए हैं। हाल के महीनों में आतंकियों ने सीमावर्ती जिले पूंछ, राजौरी, डोडा और रियासी में एक के बाद एक हमले किए हैं। अब आतंकी घाटी की ओर से जम्मू की ओर रुख करने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह कठुआ की प्रकृति और बनावट है।

यह क्षेत्र पहाडिय़ों और घनघोर जंगलों से भरा-पूरा है और इसके एक ओर पाकिस्तान की सीमा लगती है और दूसरी ओर पंजाब और हिमाचल है। सीमा पार से आने वाले आतंकवादी वारदात को अंजाम देकर जंगलों के रास्ते पाकिस्तान वापस चले जाते हैं। इस जिले की जनसांख्यिकी भी कश्मीर घाटी से अलग है। यहां हिन्दुओं की आबादी अधिक है। ऐसा हो सकता है कि चुनाव से पहले सांप्रदायिक माहौल खराब करना भी पाक प्रायोजित आतंकवादियों का एक राजनीतिक लक्ष्य हो। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि रियासी में इसी इरादे से श्रद्धालुओं की बस को निशाना बनाया गया हो।

यह कहा जाता है कि आतंकवाद की कोई निश्चित उम्र नहीं होती। देखा गया है कि कभी-कभी यह एक समय बाद स्वत: ही खत्म हो जाता है। लेकिन कश्मीर में जारी आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान की बड़ी भूमिका से कोई भी इंकार नहीं कर सकता। शायद इसलिए भी यहां आतंकवाद लंबे समय से जीवित है। अब यह देखने वाली बात होगी कि यहां आतंकवाद के विरुद्ध जारी निर्णायक युद्ध में केंद्र सरकार का पाकिस्तान के प्रति क्या रुख रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top