बिहार। सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह सुशासन नहीं बल्कि उनकी सरकारी गाड़ी का प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करना है। नीतीश कुमार की सरकारी गाड़ी का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (Pollution Control Certificate) 4 अगस्त को समाप्त हो गया था, लेकिन इसके बावजूद गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी।
पहले का चालान भी पेंडिंग
यह मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के कुशी बेतिया गांव में डीएम दिनेश कुमार राय के पिता की पुण्यतिथि में शामिल होने पहुंचे।
इससे पहले भी फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री की गाड़ी का सीट बेल्ट न लगाने के लिए ₹1,000 का चालान किया गया था। लेकिन अब तक वह जुर्माना जमा नहीं किया गया है।
विपक्ष ने साधा निशाना
इस मुद्दे पर विपक्षी दल आरजेडी ने सरकार पर तीखा हमला बोला। आरजेडी नेता विमल कुमार ने कहा,‘यह बिहार का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री की गाड़ी खुद प्रदूषण जांच में फेल हो गई है। आम जनता पर अनावश्यक जुर्माने लगाकर उन्हें परेशान किया जाता है, जबकि राज्य के कई मंत्रियों और अधिकारियों की गाड़ियां भी नियमों का उल्लंघन करती हैं। इससे सुशासन के दावों की पोल खुलती है।’
सामाजिक कार्यकर्ता की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष कुमार ने मुख्यमंत्री की गाड़ी पर जुर्माना लगाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘अगर आम आदमी की गाड़ी का प्रदूषण प्रमाणपत्र नहीं होता, तो तुरंत चालान काट दिया जाता। मुख्यमंत्री की गाड़ी पर भी जुर्माना लगना चाहिए। यह कानून के प्रति समानता का संदेश देगा।’
क्या होगा कार्रवाई का अगला कदम?
मुख्यमंत्री की गाड़ी के प्रदूषण प्रमाणपत्र के खत्म होने और पहले के चालान के पेंडिंग होने पर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या मुख्यमंत्री की गाड़ी पर कार्रवाई होगी, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि कानून सबके लिए समान है या नहीं। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ पर क्या सरकार कोई कदम उठाएगी? या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक बहस बनकर रह जाएगी?